Fiza tanvi

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अब कुछ अजनबी से लगने लगे हो तुम

अब कुछ अजनबी से लगने लगे हो तुम... 
सूखी हुई डाली से.. 
बंजर ज़मीन से लगने लगे हो तुम.. 
अब कुछ अजनबी से लगने लगे हो तुम.. 
बढ़ाते ही पीछे हट जाते है कदम.. 
अब कुछ सर्द और गर्म ज़मी से लगने लगे हो तुम.. 
अब कुछ अजनबी से लगने लगे हो तुम.. 
घूम कर आते हो मेरे घर की गली से.  
झुकती हुई निगाहे बताती है... 
अब कुछ अजनबी से लगने लगे हो तुम.. 
ना वो अपनापन... 
ना वो दिल्लगी.. 
ढलती हुई फ़िज़ा के साथ ढलने लगे हो तुम.. 
तुम्हारे क़दमों के निशान बताते है.. 
अब राह भी बदलने लगे हो तुम.. 
अब कुछ अजनबी से लगने लगे हो तुम.. 

    फ़िज़ा तन्वी 
      

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6 Comments

Sachin dev

30-Mar-2022 10:06 PM

वाह बहुत खूब

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Bhtt khooooob

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Aliya khan

26-Aug-2021 03:35 AM

बेहतरीन

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